चंडीगढ़ :- भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग फसल की खेती की जाती है। उत्तर भारत में सबसे ज्यादा खेती गेहूं की होती है। गेहूं की फसल की उगाई सितंबर और अक्टूबर महीने में की जाती है। वही इसकी कटाई का समय मार्च और अप्रैल में होता है। इस साल नए वित्त वर्ष में गेहूं की फसल की खरीद शुरू हो गई है। गेहूं की फसल की खरीद सरकार और प्राइवेट दोनों आढ़ती द्वारा की जाती है। सरकार ने गेहूं की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है। आईए जानते हैं क्या है इस बार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य।
गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य हुआ तय
उत्तर भारत में हरियाणा में गेहूं की सबसे ज्यादा खेती की जाती है। हरियाणा में गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो गई है। इस बार हरियाणा सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है, जिससे लाखों किसानों को फायदा होने वाला है। इस बार हरियाणा सरकार ने एमएसपी में रिकॉर्ड ₹150 की बढ़ोतरी की है। अभी तक हरियाणा में गेहूं की फसल की न्यूनतम समर्थन वैल्यू 2275 प्रति क्विंटल थी। लेकिन इस साल हरियाणा सरकार ने इसमें डेढ़ सौ रुपए की बढ़ोतरी की है। अब इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल है ।
खुले बाजार में कम मिलते हैं गेहूं के दाम
बहुत बार किसानों के पास गेहूं की फसल रखने के लिए प्राप्त जगह नहीं होती है। इसलिए किसानों को सरकार के अलावा प्राइवेट आढ़ती को भी फसल बेचनी पड़ती है। गेहूं की फसल आने से राज्य के प्रमुख बाजार में गेहूं की कीमत कम हो जाती है। ऐसे में बहुत बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर अपनी फसल को बेचना पड़ता है ।
मेरी फसल मेरा ब्योरा पर करें पंजीकरण
हरियाणा सरकार ने किसानों के फायदे के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल को लांच किया है। यहां पर किसान अपनी फसलों का पंजीकरण करवा सकते हैं। इस बार गुरुग्राम जिले के किसानों ने सरकारी एमएसपी का लाभ उठाने के लिए 46600 एकड़ का पंजीकरण किया है। आप सब की जानकारी के लिए बता दे कि जो किसान मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करते हैं केवल उन्हें ही हरियाणा सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ दिया जाता है।