नई दिल्ली :- किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन लेने पर व्यक्ति का सिबिल स्कोर जरूर चेक किया जाता है। अगर व्यक्ति का सिबिल स्कोर अच्छा है तो उसे लोन लेने में कोई परेशानी नहीं होती है। वहीं अगर व्यक्ति का सिबिल स्कोर खराब है तो उसे लोन मिलना मुश्किल है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि किसी भी व्यक्ति का सिबिल स्कोर कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
क्या होता है क्रेडिट स्कोर
क्रेडिट स्कोर किसी भी व्यक्ति का फाइनेंशियल रिपोर्ट कार्ड होता है। यह 300 से 900 के बीच होता है। किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर अलग-अलग बातों पर निर्भर करता है। अगर व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 700 से अधिक है तो उसे अच्छा क्रेडिट स्कोर माना जाता है। जानिए किन-किन बातों से क्रेडिट स्कोर बनाया जाता है।
रीपेमेंट हिस्ट्री
रीपेमेंट हिस्ट्री में आप द्वारा लिए गए लोन की पूरी हिस्ट्री का लेखा-जोखा होता है। रीपेमेंट हिस्ट्री से व्यक्ति का 35% क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है। अगर आपने पहले कोई लोन लिया है और उसकी किस्त समय पर दी है तो आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होगा। वहीं अगर आप किस्त भरने से चूक जाते हैं तो इसे क्रेडिट हिस्ट्री में दर्ज किया जाता है।
क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन
क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन का मतलब होता है कि बैंक ने आपको जो क्रेडिट लिमिट दी है उसका आपने कितना उपयोग किया है। क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन से व्यक्ति का 30% क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है। आमतौर पर व्यक्ति को क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन का 30% इस्तेमाल करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर अगर आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट एक लाख है तो आपको 30000 का उपयोग करना चाहिए। ₹30000 चुकाने के बाद आपको फिर से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना चाहिए।
क्रेडिट अवधि
किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर का 15% हिस्सा क्रेडिट अवधि से प्रभावित होता है। जितनी लंबी आपकी क्रेडिट अवधि होती है उतना ही अच्छा क्रेडिट स्कोर होने की संभावना होती है।
क्रेडिट मिक्स
क्रेडिट मिक्स से किसी भी व्यक्ति का 10% क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है। क्रेडिट मिक्स से देखा जाता है कि आप किस प्रकार का लोन ले रहे हैं।