नई दिल्ली, Nirjla Ekadashi :- हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखा जाता है, जिसमें पानी तक नहीं पिया जाता। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से निर्जल व्रत करने से साल भर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन व्रत के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। यदि भूलवश कुछ गलतियां हो जाएं, तो इसका असर जीवन में गरीबी, दुर्भाग्य और रोगों के रूप में देखने को मिल सकता है।
आइए जानते हैं निर्जला एकादशी के दिन कौन से काम नहीं करने चाहिए:
1. तुलसी को स्पर्श या जल अर्पण न करें
इस दिन तुलसी माता स्वयं भी व्रत रखती हैं। अगर आप तुलसी को जल चढ़ाते हैं या पत्तियां तोड़ते हैं, तो इससे उनका व्रत भंग होता है। तुलसी माता को लक्ष्मी जी का रूप माना जाता है, और उनके नाराज होने से घर में दरिद्रता और क्लेश का आगमन हो सकता है।
2. चावल का सेवन न करें
भले ही आप व्रत न भी कर रहे हों, निर्जला एकादशी के दिन चावल खाना निषेध माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से पूरे वर्ष की एकादशियों का पुण्य नष्ट हो सकता है। यह पाप के बराबर माना गया है।
3. बैंगन, मूली, मसूर दाल और जड़ वाली सब्ज़ियां न खाएं
इस दिन सात्विक और हल्का भोजन ही करना चाहिए। बैंगन, मूली, मसूर दाल और जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियां खाने से शरीर में तामसिक प्रवृत्तियां बढ़ती हैं और पुण्य का ह्रास होता है।
4. काले रंग के कपड़े पहनने से बचें
काले रंग को नकारात्मकता और अशुभता का प्रतीक माना जाता है। निर्जला एकादशी जैसे पवित्र दिन पर इस रंग के वस्त्र धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह सकते हैं।
5. बाल और नाखून काटने से बचें
धार्मिक दृष्टिकोण से एकादशी के दिन शरीर को सजाने-संवारने से बचना चाहिए। बाल और नाखून काटना या शेव करना इस दिन वर्जित होता है, क्योंकि यह शरीर की शुद्धता को भंग करता है।
6. रात्रि में बिस्तर पर न सोएं
जो लोग Nirjla Ekadashi का व्रत रखते हैं, उन्हें इस दिन रात में जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर सोना चाहिए। यह विनम्रता और तप का प्रतीक है। बिस्तर पर सोने से व्रत का पुण्य अधूरा रह सकता है।
7. गुस्सा, कलह और झूठ से बचें
यह दिन संयम और भक्ति का होता है। इस दिन झूठ बोलना, क्रोध करना, किसी से लड़ाई-झगड़ा करना या मन में नकारात्मक विचार रखना वर्जित माना गया है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की नाराजगी हो सकती है।