नई दिल्ली :- गांव में लोग जब पैसों की जरूरत होती है तो कई बार अपनी खेती की ज़मीन बेच देते हैं। कुछ लोग जमीन को निवेश के लिए भी खरीदते हैं और फिर बाद में ज्यादा दाम पर बेच देते हैं। लेकिन जब ज़मीन लाखों रुपये में बिकती है, तब एक सवाल सबसे ज्यादा आता है – क्या इस कमाई पर सरकार को टैक्स देना पड़ेगा?
इसका जवाब है – “कभी हां और कभी नहीं”, ये इस बात पर निर्भर करता है कि ज़मीन कहां है और किस तरह की है।
खेती की ज़मीन दो तरह की होती है
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गांव की ज़मीन (Rural Agricultural Land)
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शहर या कस्बे के पास की ज़मीन (Urban Agricultural Land)
अब जानते हैं किस पर टैक्स लगता है और किस पर नहीं।
गांव की खेती की ज़मीन बेचने पर टैक्स नहीं
अगर आपकी ज़मीन किसी गांव में है, और वह नगरपालिका (नगर परिषद), शहर या कस्बे की सीमा में नहीं आती, तो उसे गांव की खेती की ज़मीन माना जाता है।
ऐसी ज़मीन बेचने पर आपको कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता।
शहर या कस्बे के पास की ज़मीन बेचने पर टैक्स देना पड़ता है
अगर ज़मीन किसी शहर, नगर या कस्बे की सीमा के 2 से 8 किलोमीटर के दायरे में आती है (जनसंख्या के हिसाब से), तो उसे शहर की खेती की ज़मीन माना जाता है।
इस तरह की ज़मीन बेचने पर आपको टैक्स देना पड़ सकता है।
टैक्स कैसे और कब देना पड़ता है?
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अगर आपने ज़मीन 2 साल के बाद बेची
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तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाएगा
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इस पर 20% टैक्स देना पड़ता है
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अगर आपने ज़मीन 2 साल से पहले बेच दी
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तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा
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इस पर टैक्स आपकी इनकम के हिसाब से स्लैब रेट से लगेगा
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एक नजर में समझें
ज़मीन का प्रकार | टैक्स देना होगा या नहीं? |
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गांव की खेती की ज़मीन | टैक्स नहीं देना होता |
शहर के पास की खेती की ज़मीन | टैक्स देना पड़ता है |