अलीगढ़-पलवल हाईवे, जिसकी कुल लंबाई लगभग 67 किलोमीटर है, टप्पल इंटरचेंज के पास यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। यह मार्ग अलीगढ़ को हरियाणा के पलवल जिले के साथ-साथ नोएडा, मथुरा और आगरा जैसे एनसीआर शहरों से जोड़ता है। लोक निर्माण विभाग ने 552 करोड़ रुपये की लागत से इस हाईवे का निर्माण कराया था, लेकिन खैर और जट्टारी में बाईपास की अनुपस्थिति के कारण जाम एक बड़ी समस्या बना हुआ था।
अब बाईपास बनने से:
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ट्रैफिक डायवर्जन सुगम होगा।
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लंबी दूरी तय करने वालों को राहत मिलेगी।
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समय और ईंधन की बचत होगी।
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औद्योगिक क्षेत्रों में आवागमन और तेज होगा।
बाईपास से किन क्षेत्रों को होगा सीधा लाभ?
इस हाईवे के किनारे अलीगढ़ की कई अहम परियोजनाएं संचालित हो रही हैं, जिनमें शामिल हैं:
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खेरेश्वरधाम मंदिर
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राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय
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ट्रांसपोर्ट नगर
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ग्रेटर अलीगढ़ योजना
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डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
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इंडियन बॉटलिंग प्लांट
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बीज निगम के गोदाम
बाईपास के निर्माण से इन सभी क्षेत्रों तक पहुंचना आसान हो जाएगा, जिससे व्यापार, शिक्षा, पर्यटन और रोज़गार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
क्यों हुई थी देरी?
इस परियोजना में देरी की वजह लोक निर्माण विभाग और एनएचएआई के बीच विभागीय टकराव था। पहले इस हाईवे का निर्माण लोक निर्माण विभाग ने किया था, बाद में इसे एनएचएआई के अंतर्गत लाया गया। विभागीय समन्वय की कमी के कारण बाईपास की मंजूरी सालों तक अटकी रही।
हालांकि अब यह गतिरोध खत्म हो चुका है और निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।
अधिकारियों का क्या कहना है?
इंद्रजीत सिंह, परियोजना निदेशक, NHAI ने बताया:
“खैर बाईपास का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। हम पूरी कोशिश करेंगे कि इसे समय से पहले पूरा किया जाए। आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर निर्माण की रफ्तार को तेज किया जा रहा है।”